अंकटाड सम्मेलन (UNCT AD Conference)
अंकटाड अथवा संयुक्त राष्ट्र संघ के व्यापार एवं आर्थिक विकास पर हुए अधिवेशन
से पूर्व विदेशी व्यापार तथा सहायता संबंधी समस्याओं पर प्रशुल्क देशों एवं
व्यापार पर हुए सामान्य समझौते (GATT) के तहत विचार किया जाता था। ळ। ज्ज् समझौता विकासशील देशों
के हितों के अनुरूप नहीं था। इसलिए विकासशील देशों की मांग पर आर्थिक सहयोग हेतु
नया कार्यक्रम प्रारम्भ किया गया। इसे अंकटाड कहा जाता है। इसकी स्थापना संयुक्त
राष्ट्र संघ के एक स्थायी अंग के रूप में 30 दिसम्बर 1964 को हुई। इससे अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सम्बन्धों
में एक नए अध्याय की शुरुआत हुई। अंकटाड का छठा पेरिस सम्मेलन विकासशील देशों के
आपसी सहयोग का अच्छा प्रयास था। इसके आठवें कार्टेगेना सम्मेलन (1992) में विकास
की नई सांझेदारी की बात कही गई। जिसमें संसार के 40 विकासशील देशों ने द्विपक्षीय
अधीकृत ऋण को माफ करने की अपील की और ऋण मांग व भुगतान सेवाओं में कटौती के लिए
तुरन्त प्रयास करने को कहा गया। इसमें उरुग्वे वाता (GATT)
पर असंतोष प्रकट किया। इसमें विकासशील देशों की
बढ़ी हुई संख्या के आधार पर अधिकृत विकास सहयाता में भी वृद्धि करने की बात
दोहराई। इसका नौंवा सम्मेलन मई 1996 में अफ्रीका के मिडरैंड शहर में सम्पन्न हुआ
जिसमें 134 देशों के 2000 के लगभग अधिकारियों ने हिस्सा लिया। इसमें कहा गया कि जो
विकासशील देश अधिक विकास को प्राप्त हो चुके हैं, उन्हें कम विकसित देशों की सहायता करनी चाहिए।
इसके दसवें सम्मेलन (2000 में बैंकाक में) में विश्व व्यापार के मुद्दे पर आपसी
बातचीत में गतिरोध उत्पन्न हो गया। इसमें बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली का लाभ
अल्पविकसित देशों को उसके साथ जोड़कर पहुंचाने की बात पर जोर दिया गया। लेकिन
विकसित देशों के अड़ियल व्यवहार के कारण इसे अधिक सफलता नहीं मिल सकी। फिर भी
अंकटाड का मंच विकासशील देशों के मध्य आपसी सहयोग बढ़ाने के लिए दक्षिण-दक्षिण
संवाद का महत्वपूर्ण अंग है।
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