रामस्वामी वेंकटरमण
Ramaswamy Venkataraman
रामस्वामी
वेंकटरमण, (4 दिसंबर 1910-27 जनवरी 2009)
भारत के 8वें राष्ट्रपति थे। वे 1978 से 1992 तक इस पद पर रहे। राष्ट्रपति बनने के पहले
वे 4 वर्षों तक भारत के उपराष्ट्रपति रहे। मंगलवार को 27 जनवरी को लंबी बीमारी के बाद उनका निधन हो गया। वे 98 वर्ष के थे। राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और
प्रधानमंत्री समेत देश भर के अनेक राजनेताओं ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है।
उन्होंने दिल्ली में सेना के रिसर्च एंड रेफरल हॉस्पिटल में अंतिम साँस ली। उनका
कार्यकाल 1987 से 1992 तक रहा।
राष्ट्रपति पद पर आसीन होने से पूर्व वेंकटरमन करीब चार साल तक देश के
उपराष्ट्रपति भी रहे।
प्रारंभिक जीवन
वेंकटरमन का जन्म
4 दिसंबर 1910 को तमिलनाडु में
तंजौर के निकट पट्टुकोट्टय में हुआ था। उनकी ज्यादातर शिक्षा-दीक्षा राजधानी
चेन्नई (तत्कालीन मद्रास) में ही हुई। उन्होंने अर्थशास्त्र से स्नातकोत्तर उपाधि
मद्रास विश्वविद्यालय से प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने मद्रास के ही लॉ कॉलेज से
कानून की पढ़ाई की। शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने मद्रास उच्च न्यायालय में सन
1935 से वकालत शुरू की और 1951 से
उन्होंने उच्चतम न्यायालय में वकालत शुरू की। वकालत के दौरान ही उन्होंने देश के
स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया और 1942 के भारत छोड़ो
आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई। स्वतंत्रता के बाद वकालत में उनकी श्रेष्ठता को
देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें देश के उत्कृष्ट वकीलों की टीम में स्थान दिया। 1947 से 1950 तक वे मद्रास प्रान्त की बार फेडरेशन के
सचिव पद पर रहे। कानून की जानकारी और छात्र राजनीति में सक्रिय होने के कारण वे
जल्द ही राजनीति में आ गए। सन 1950 में उन्हें आजाद भारत की
अस्थायी संसद के लिए चुना गया। उसके बाद 1952 से 1957 तक वे देश की पहली संसद के सदस्य रहे। वे सन 1953
से 1954 तक कांग्रेस पार्टी में सचिव पद पर भी रहे।
राजनीतिक जीवन
1957 में संसद के लिए चुने जाने के बावजूद रामस्वामी वेंकटरमन ने लोक सभा सीट
से इस्तीफा देकर मद्रास सरकार में एक मंत्री का पद भार ग्रहण किया। इस दौरान
उन्होंने उद्योगों, समाज, यातायात,
अर्थव्यस्था व जनता की भलाई के लिए कई विकासपूर्ण कार्य किए। 1967 में उन्हें योजना आयोग का सदस्य नियुक्त किया गया और उन्हें उद्योग,
यातायात व रेलवे जैसे प्रमुख विभागों का उत्तरदायित्व सौंपा गया। 1977 में दक्षिण मद्रास की सीट से उन्हें लोकसभा का सदस्य चुना गया। जिसमें
उन्होंने विपक्षी नेता की भूमिका निभाई। 1980 में वे लोकसभा
का सदस्य चुने जाने के बाद इंदिरा गांधी की सरकार में उन्हें वित्त मंत्रालय का
कार्यभार सौंपा गया और उसके बाद उन्हें रक्षा मंत्री बनाया गया। उन्होंने पश्चिमी
और पूर्वी यूरोप के साथ ही सोवियत यूनियन, अमेरिका, कनाडा, दक्षिण पश्चिमी एशिया, जापान,
ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, यूगोस्लाविया और मॉरिशस की आधिकारिक यात्राएँ कीं। वे अगस्त 1984 में देश के उप राष्ट्रपति बने। इसके साथ ही वे राज्यसभा के अध्यक्ष भी
रहे। इस दौरान वे इंदिरा गांधी शांति पुरस्कार व जवाहरलाल नेहरू अवार्ड फॉर
इंटरनेशनल अंडरस्टैंडिंग के निर्णायक पीठ के अध्यक्ष रहे। उन्होंने 25 जुलाई 1987 को देश के आठवें राष्ट्रपति के रूप में
शपथ ली।
अंतिम समय
केंद्र सरकार ने
पूर्व राष्ट्रपति आर. वेंकटरमन के सम्मान में देश में सात दिन का राष्ट्रीय शोक
घोषित किया है। एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि इस अवधि में कोई भी सरकारी मनोरंजन
कार्यक्रम नहीं होगा और सभी सरकारी इमारतों पर तिरंगा आधा झुका रहेगा। इसके साथ ही
गणतंत्र दिवस समारोह के बाद होने वाले बीटिंग रट्रीट तथा राष्ट्रीय कैडेट कोर की
प्रधानमंत्री रैली समेत सभी सरकारी कार्यक्रम रद्द कर दिए गए। बुधवार 29 जनवरी को नई दिल्ली में एकता स्थल पर पूरे राजकीय
सम्मान के साथ उनकी अन्त्येष्टि की गई। उनके दामाद केबी वेंकट ने उन्हें मुखाग्नि
दी। सर्वधर्म प्रार्थना और 21 तोपों की सलामी के बीच
वेंकटरमन का पार्थिव शरीर पंचतत्व में विलीन हो गया। इससे पहले राष्ट्रपति प्रतिभा
पाटिल ने उनको श्रद्धांजलि दी।
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