इन्द्र कुमार गुजराल
Inder Kumar Gujral
इन्द्र कुमार
गुजराल (जन्म: 4 दिसम्बर 1919, झेलम - मृत्यु: 30 नवम्बर 2012, गुड़गाँव) भारतीय गणराज्य के 13वें प्रधानमन्त्री
थे। उन्होंने भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम में सक्रिय रूप से हिस्सा लिया था और 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान वे जेल भी गये। अप्रैल 1997 में भारत के प्रधानमंत्री बनने से पहले उन्होंने केन्द्रीय मन्त्रिमण्डल
में विभिन्न पदों पर काम किया। वे संचार मन्त्री, संसदीय
कार्य मन्त्री, सूचना प्रसारण मन्त्री, विदेश मन्त्री और आवास मन्त्री जैसे महत्वपूर्ण पदों पर रहे। राजनीति में
आने से पहले उन्होंने कुछ समय तक बीबीसी की हिन्दी सेवा में एक पत्रकार के रूप में
भी काम किया था।
1975 में जिन दिनों वे इन्दिरा गान्धी सरकार में सूचना एवं प्रसारण मन्त्री थे
उसी समय यह बात सामने आयी थी कि 1971 के चुनाव में इन्दिरा
गान्धी ने चुनाव जीतने के लिये असंवैधानिक तरीकों का इस्तेमाल किया है। इन्दिरा
गान्धी के बेटे संजय गांधी ने उत्तर प्रदेश से ट्रकों में भरकर अपनी माँ के समर्थन
में प्रदर्शन करने के लिये दिल्ली में लोग इकट्ठे किये और इन्द्र कुमार गुजराल से
दूरदर्शन द्वारा उसका कवरेज करवाने को कहा। गुजराल ने इसे मानने से इन्कार कर दिया
क्योंकि संजय गांधी को कोई सरकारी ओहदा प्राप्त नहीं था। बेशक वे प्रधानमन्त्री के
पुत्र थे। इस कारण से उन्हें सूचना एवं प्रसारण मन्त्रालय से हटा दिया गया और
विद्याचरण शुक्ल को यह पद सौंप दिया गया। लेकिन बाद में उन्हीं इन्दिरा गान्धी की
सरकार में मास्को में राजदूत के तौर पर गुजराल ने 1980 में
सोवियत संघ के द्वारा अफ़गानिस्तान में हस्तक्षेप का विरोध किया। उस समय भारतीय
विदेश नीति में यह एक बहुत बड़ा बदलाव था। उस घटना के बाद ही आगे चलकर भारत ने
सोवियत संघ द्वारा हंगरी और चेकोस्लोवाकिया में राजनीतिक हस्तक्षेप का विरोध किया।
व्यक्तिगत जीवन
गुजराल के पिता
का नाम अवतार नारायण और माता का पुष्पा गुजराल था। उनकी शिक्षा दीक्षा डी.ए.वी.
कालेज, हैली कॉलेज ऑफ कामर्स और फॉर्मन क्रिश्चियन कॉलेज
लाहौर में हुई। अपनी युवावस्था में वे भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन में शरीक हुए और
1942 के "अंग्रेजो भारत छोड़ो" अभियान में जेल भी
गये।
हिन्दी, उर्दू और पंजाबी भाषा में निपुण होने के अलावा वे कई
अन्य भाषाओं के जानकार भी थे और शेरो-शायरी में काफी दिलचस्पी रखते थे। गुजराल की
पत्नी शीला गुजराल का निधन 11 जुलाई 2011 को हुआ। उनके दो बेटों में से एक नरेश गुजराल राज्य सभा सदस्य है और
दूसरा बेटा विशाल है।
लम्बी बीमारी के बाद निधन
गुजराल लम्बे
समय से डायलिसिस पर चल रहे थे। 19 नवम्बर 2012 को छाती में संक्रमण के बाद उन्हें हरियाणा स्थित गुड़गाँव के एक
प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहाँ इलाज के दौरान ही उनकी हालत गिरती चली
गयी। आखिरकार 30 नवम्बर 2012 को उनकी
आत्मा ने उनका शरीर छोड़ दिया। उनके निधन का समाचार मिलते ही लोक सभा व राज्य सभा
स्थगित हो गयी और इस अवसर पर राष्ट्रीय शोक की घोषणा के साथ भारत के राष्ट्रपति
एवं प्रधान मंत्री ने शोक व्यक्त किया।
जनता के
दर्शनार्थ उनका पार्थिव शरीर उनके सरकारी आवास 5
जनपथ नई दिल्ली में रक्खा गया। 1 दिसम्बर 2012 को उनकी अंत्येष्टि शान्ति वन और विजय घाट के मध्यवर्ती क्षेत्र
"स्मृति स्थल" पर पूरे राजकीय सम्मान के साथ की गयी।
गुजराल की आत्मकथा
इन्द्र कुमार
गुजराल ने अपनी आत्मकथा अंग्रेजी भाषा में लिखी थी जो उनके जीवित रहते प्रकाशित भी
हुई:
"मैटर्स ऑफ डिस्क्रिशन: एन ऑटोबायोग्राफी"- आई.के.गुजराल
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