जोहैनीज़ केपलर
Johannes
Kepler
जोहैनीज़ केपलर (1571-1630 ईo) महान जर्मन ज्योतिषी, गणितज्ञ एवं खगोलशास्त्री थे।
परिचय
केपलर का जन्म 21 दिसम्बर 1571 को जर्मनी के
स्टट्गार्ट नामक नगर के निकट बाइल-डेर-स्टाड्स स्थान पर हुआ था। इन्होंने टिबिंगैन
विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। 1594 ईo में ऑस्ट्रिया के ग्रेट्ज विश्वविद्यालय में इन्हें प्राध्यापक की जगह मिल
गई। ये जर्मन सम्राट् रूडॉल्फ द्वितीय, के राजगणितज्ञ टाइको
ब्राए के सहायक के रूप में 1601 ईo में नियुक्त हुए और ब्राए
की मृत्यु के बाद ये राजगणितज्ञ बने। इन्होंने ज्योतिष गणित पर 1609 ईo में 'दा मोटिबुस स्टेलाए मार्टिस' (De
Motibus Stellae martis) और 1619 ईo में 'दा हार्मोनिस मुंडी' (De Harmonis mundi) में अपने
प्रबंधों को प्रकाशित कराया। इनमें इन्होंने ग्रहगति के नियमों का प्रतिपादन किया
था। ग्रहगति के निम्नलिखित सिद्धांतों में से प्रथम दो इनके पहले प्रबंध में तथा
तीसरा सिद्धांत दूसरे प्रबंध में प्रतिपादित है:
(1) विश्व में सभी कुछ वृत्ताकार नहीं है। सौर
मंडल के सभी ग्रह वृत्ताकार कक्षा में सूर्य की परिक्रमा नहीं करते, अपितु ग्रह एक दीर्घवृत्त पर चलता है, जिसकी नाभि पर
सूर्य विराजमान है।
(2) सूर्य से ग्रह तक की सदिश त्रिज्या समान काल
में समान क्षेत्रफल में विस्तीर्ण रहती है।
(3) सूर्य से किसी भी ग्रह की दूरी का घन उस
ग्रह के परिभ्रमण काल के वर्ग का समानुपाती होता है।
उपर्युक्त सिद्धांतों के अतिरिक्त, इन्होंने गुरुत्वाकर्षण का उल्लेख अपने प्रथम प्रबंध में किया और यह भी
बताया कि पृथ्वी पर समुदों में ज्वारभाटा चंद्रमा के आकर्षण के कारण आता है। इस
महान गणितज्ञ एवं ज्योतिषी का 59 वर्ष की आयु में प्राग में 1630 ईo में देहावसान हो गया।
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