गुरुवार, 20 अगस्त 2020

विश्व मच्छर दिवस (World Mosquito Day)

 विश्व मच्छर दिवस

(World Mosquito Day)

विश्व मच्छर दिवस, 20 अगस्त को प्रतिवर्ष मनाया जाता है, 1897 में ब्रिटिश डॉक्टर सर रोनाल्ड रॉस की खोज की याद में यह दिवस मनाया जाता हैं। कि मादा मच्छर मनुष्यों के बीच मलेरिया का संचार करती है। रॉस वार्षिक पर्यवेक्षण के लिए जिम्मेदार है, जिसने अपनी खोज के तुरंत बाद घोषित किया कि इस दिन को भविष्य में विश्व मच्छर के रूप में जाना जाना चाहिए।

लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन हर साल मच्छर दिवस समारोह आयोजित करता है, जिसमें पार्टियों और प्रदर्शनियों, 1930 के दशक की शुरुआत में वापस डेटिंग जैसी घटनाएं शामिल हैं।

सम्पूर्ण विश्व में प्रत्येक वर्ष 20 अगस्त को विश्व मच्छर दिवस मनाया जाता है। यह दिवस पेशेवर चिकित्सक सर रोनाल्ड रास की स्मृति में मनाया जाता है, जिन्होंने वर्ष 1897 में यह खोज की थी कि मनुष्य में मलेरिया जैसी जानलेवा बीमारी के उपचार के लिए मादा मच्छर उत्तरदायी है।

विश्व मच्छर दिवस का इतिहास:

विश्व मच्छर दिवस की शुरुआत 20 अगस्त 1897 से हुई। लिवरपूल स्कूल ऑफ ट्रॉपिकल मेडिसिन के ब्रिटिश डॉ। रोनाल्ड रॉस ने इसी दिन खोज की कि मलेरिया के संवाहक मादा एनॉफिलीज मच्छर होते हैं। बाद में उनके प्रयास से मच्छर जनित बीमारियों की रोकथाम और उपचार के लिए उपचार में अभियान चला और मलेरिया से हजारों लोगों की जान बचाई जा सकी। इसी योगदान के लिए उन्हें 1902 में चिकित्सा के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया था।

मच्छर का छोटा डंक - बड़ा ख़तरा पैदा कर सकता है। मच्छर का काटना घातक हो सकता है। मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया, जापानी इन्सेफेलाइटिस, फाइलेरिया, ज़ीका वायरस और पीत ज्वर जैसी बीमारियों के कारण जीवन को गंभीर ख़तरा भी हो सकता है।

मच्छरों से होने वाले रोग:

डेंगू: डेंगू मच्छर बरसात के मौसम में पनपने वाला मच्छर है। इसका वायरस DENV-1, DENV-2, DENV-3, DENV-4 वायरस होता है। इसके कटे जाने पर तेज बुखार आता है। इटोन ब्रेक फ़ भी कंहा जाता है। डेंगू दिन में काटने वाले मादा मच्छर एडीज एजिप्टी से फैलता है। इसमें व्यक्ति को बूम बुखार, सिरदर्द, आंखों के पीछे दर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द और शरीर पर फुंसियां ​​हो जाती हैं।

मलेरिया: मलेरिया बीमारी मादा एनोफ़ेलीज़ मच्छर के काटे जाने से होता है। यह मच्छर भी बरसात के मौसम में ही पनपता है मलेरिया रोग परजीवी प्लाजमोडियम से फैलने वाला रोग है।)

चिकनगुनिया: इसका नाम सुनने में सड़क पर मिलने वाले स्वादिष्ट खाद्य पदार्थ की तरह लगता है। लेकिन यह एक तकलीफ़ेबल बीमारी है जिसमें तेज बुखार और जोड़ों में दर्द होता है। चिकनगुनिया का पता पहली बार तंजानिया में 1952 में चला गया था। इसका नाम किमाकोंडे भाषा से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है "विकृत होना।"

पीत ज्वर या येलो फ़ीवर: पीत ज्वर एक वायरस से फैलता है, जो हर साल क़रीब दो लाख लोगों को प्रभावित करता है, इनमें सबसे अधिक लोग उप-सहारा अफ़्रीका के होते हैं।

ला क्रोसे इंसेफ़लाइटिस: मच्छर से पैदा होने वाले इस वायरस का नाम अमरीका के विस्कॉन्सिन राज्य के ला क्रोसे शहर के नाम पर पड़ा, जहां पहली बार 1963 में, इसका पता चला था।

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