नागालैण्ड
Nagaland
ब्यौरे |
विवरण |
क्षेत्रफल |
16,579 वर्ग किलोमीटर |
राजधानी |
कोहिमा |
मुख्य भाषा |
अंग्रेजी, हिंदी और 16
आदिवासी बोलियों |
इतिहास और भूगोल
नागालैंड 1
दिसंबर, 1963 को भारतीय संघ का 16वां राज्य बना। यह राज्य
पूर्व में म्यांमार, उत्तर में अरूणाचल प्रदेश, पश्चिम में असम और दक्षिण में मणिपुर से घिरा हुआ है। यह पूर्व में 98 सेल्सियस
तथा 96 सेल्सियस देशांतर तथा भूमध्य रेखा के उत्तर में 26.6 सेल्सियस तथा 27.4
सेल्सियस अक्षांश के बीच बसा हुआ है।
नागालैंड राज्य
का क्षेत्रफल 16,579 वर्ग कि.मी. तथा 2001 का जनगणना के अनुसार इसकी आबादी
19,88,636 है। असम घाटी की सीमा से लगे क्षेत्र के अलावा इस राज्य का क्षेत्र
अधिकांशतः पहाड़ी है। इसकी सबसे ऊंची पहाड़ी सरमती है जिसकी ऊंचाई 3,840 मीटर है
और यह पर्वत श्रृंखला नागालैंड और म्यांमार के बीच एक प्राकृतिक सीमा रेखा खींच
देती है।
नागा लोग
भारतीय-मंगोल वर्ग लोगों में से है, जो भारत की उत्तर-पूर्वी पहाडियों से सटे क्षेत्रों और पश्चिमी म्यांमार
के ऊपरी भाग में रहते हैं। नागालैंड की प्रमुख जनजातियां है: अंगामी, आओ, चाखेसांग, चांग, खिआमनीउंगन, कुकी, कोन्याक,
लोथा, फौम, पोचुरी,
रेंग्मा, संगताम, सुमी,
यिमसचुंगरू और ज़ेलिआंग। नागा भाषा एक जनजाति से दूसरी जनजाति और
कभी-कभी तो एक गांव से दूसरे गांव में भी अलग हो जाती है। तथापि इन्हें तिब्बत
बर्मा भाषा परिवार में वर्गीकृत किया गया है।
बारहवीं-तेरहवीं
शताब्दी में इन लोगों के असम के अहोम लोगों से धीरे-धीरे संपर्क हुआ, लेकिन इससे इन लोगों के रहन-सहन पर कोई विशेष प्रभाव
नहीं पड़ा। लेकिन उन्नीसवीं शताब्दी में अंग्रेजों के आगमन पर यह क्षेत्र
ब्रिटिश प्रशासन के अधीन आ गया। स्वंतत्रता के पश्चात 1957 में यह क्षेत्र
केंद्रशासित प्रदेश बन गया और असम के राज्यपाल द्वारा इसका प्रशासन देखा जाने
लगा। यह नगा हिल्स तुएनसांग क्षेत्र कहलाया। यह जनता की आकांक्षाओं पर खरा नहीं
उतरा और असंतोष पनपने लगा। अत: 1961 में इसका नाम बदलकर 'नागालैंड'
रखा गया और इसे भारतीय संघ के राज्य का दर्जा दिया गया, जिसका विधिवत उद्घाटन 1 दिसंबर, 1963 को हुआ।
संस्कृति
नागालैंड मे 16 जनजातियाँ पाई
जाती है, अंगामी, आओ, चख़ेसंग, चांग, दिमासा कचारी, खियमनिंगान, कोनयाक, लोथा, फोम, पोचुरी, रेंगमा, संगतम, सूमी, इंचुंगेर, कुकी और ज़ेलियांग।
कृषि
नागालैंड मूलत:
कृषि की भूमि है। लगभग 70 प्रतिशत जनता कृषि पर निर्भर है। राज्य में कृषि
क्षेत्र का महत्वपूर्ण योगदान है। चावल यहां का मुख्य भोजन है। कुल क्षेत्र के
70 प्रतिशत में धान की खेती होती है और राज्य के कुल खाद्यान्न उत्पादन का 75
प्रतिशत चावल है।
यहां मुख्यत: 'स्लेश' और 'बर्न' खेती प्रचलित है, जिसे
स्थानिय तौर पर झूम के नाम से जाना जाता है। करीब 1,01,400 हेक्टेयर क्षेत्र में
झूम खेती और हेक्टेयर क्षेत्र में सीढीदार खेती की गई। इस वर्ष के दौरान खाद्य
उत्पादन 3,86,300 मीट्रिक टन था।
16,57,587 हेक्टेयर
के कुल भूमिक्षेत्र में से करीब 8,35,436 हेक्टेयर क्षेत्र में वन है। कोहिमा
जिले में इंतंकी तथा पुलीबादजे, तुएनसांग में फाकिम
और दीमापुर में रंगापहाड नामक वन्यजीव अभयारण्य तथा राष्ट्रीय उद्यान है।
बिजली
1981 की
जनगणनानुसार नागालैंड के सभी गांवों में बिजली दी गई है। नागालैंड में अब तक
शतप्रतिशत गांवों को बिजली दी गई है, जिसमें दूरस्थ गांव भी शामिल हैं।
सिंचाई
राज्य में कोई
बड़ी या मंझोली सिंचाई परियोजना नहीं है। छोटी सिंचाई परियोजनाओं से मुख्यत:
पहाडी झरनों की धारा मोडी जाती है, जो घाटी में धान की खेती की सिंचाई में काम आती है। कुल सिंचित क्षेत्र
93,231.43 हेक्टेयर है।
परिवहन
सडकें: राज्य में सडकों की कुल लंबाई 9,860
किलोमीटर है, जिसमें राष्ट्रीय राजमार्ग,
प्रांतीय राजमार्ग, जिला तथा ग्रामीण सडकें
शामिल हैं। कुल 900 से अधिक गांवों को सड़कों से जोड़ा गया है।
रेलवे/उड्डयन: नागालैंड में
दीमापुर एकमात्र ऐसा स्थान है, जहां रेल और विमान सेवाएं
उपलब्ध हैं। कोलकाता से दीमापुर को जोड़ने के लिए सप्ताह में तीन दिन इंडियन
एयरलाइंस की उड़ान सेवाएं उपलब्ध हैं।
त्योहार
संगीत और नृत्य
नगा जनजीवन के मूलभूत अंग हैं। वीरता, सुंदरता, प्रेम और उदारता का गुणगान करने वाले
लोकगीत और लोकगाथाएं पीढ़ी-दर-पीढ़ी चली जा रही हैं। इसी तरह नृत्य हर उत्सव का
महत्वपूर्ण हिस्सा है। हर त्योहार पर दावत, नाच-गाना और
उल्लास होता है। राज्य के कुछ महत्वपूर्ण त्योहार हैं सेकरेन्यी, मोआत्सु, तोक्कू एमोंगा और तुलनी।
उद्योग
राज्य में
औद्योगिकीकरण की प्रक्रिया अभी अपनी शैशवावस्था में है, किंतु और अधिक उद्योग लगाने की आवश्यकता को अच्छी
तरह पहचाना गया है। दीमापुर में एक लाख ईंटे प्रतिदिन उत्पादित करने की क्षमता
वाली नागालैंड मैकेनाइज्ड ब्रिक्स कंपनी लि. चालू कर दी गई है। हथकरघा और हस्तशिल्प
महत्वपूर्ण कुटीर उद्योग है, जो अधिकतर सहकारी समितियों
द्वारा चलाए जा रहे है। दीमापुर स्थित नगालैंड हथकरघा और हस्तशिल्प विकास निगम
लि. सरकार के स्वामित्व वाला निगम है, जो राज्य में
हथकरघा और हस्तशिल्प के उत्पादों को बढ़ावा देने और उनके विपणन का काम करता है।
दीमापुर के निकट गणेश में एक औद्योगिक विकास केंद्र बनकर तैयार हो गया है।
नागालैंड
औद्योगिक विकास निगम उद्यमियों को मार्गदर्शन और वित्तीय सहायता देने वाली सबसे
बड़ी प्रोत्साहक संस्था है। दीमापुर के फल और सब्जी प्रसंस्करण और कोल्ड स्टोरेज
संयंत्र की स्थापित क्षमता क्रमश: 5 मीट्रिक टन फल और सब्जी के प्रसंस्करण और
3000 मीट्रिक टन प्रतिदिन के कोल्ड स्टोरेज की है।
पर्यटन स्थल
प्रतिबंधित
क्षेत्र परमिट (आरएपी) में ढील देने वाले राज्य में अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों का
आना-जाना शुरू हो गया है, यहां प्रतिवर्ष बडी
संख्या में देशी विदेशी पर्यटक आते हैं।
पर्यटन विभाग
द्वारा प्रतिवर्ष दिसंबर माह के प्रथम सप्ताह में 'हॉर्नबिल'
उत्सव आयोजित किया जाता है, जिसमें नागालैंड
की सभी जनजातियां एक जगह आकर उत्सव मनाती हैं और अपनी पांरपरिक वस्तुओं, खाद्य पदार्थों और शिल्पगत चीजों का प्रदर्शन करती तथा बेचती हैं। तीन
पारंपरिक उत्सवों-कोहिमा जिले के तोउफेमा में सेकरेन्यी (26-27 फरवरी); लोंगलेंग उपमंडल के पोगो में मोन्यू (1-3 अप्रैल) तथा मोकोकचुंग जिले के
चुचुयिमलांग में मोआत्सु (1-3 मई) की उत्सव गंतव्यों के रूप में पहचान की गई
है।
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