उत्तर 1- 1 नवम्बर 1913 को कैलिफोर्निया के सैन फ्रांसिस्को शहर में स्वतंत्रता सेनानी तारकनाथ दास द्वारा की गई थी।
उत्तर 2- 1 नवम्बर
1950 को चितरंजन रेल कारखाने में
उत्तर 3- 1 नवम्बर 1956 को भाषा के आधार पर मध्य प्रदेश
राज्य, राज्य केरल, आंध्र प्रदेश और मैसूर औपचारिक रूप से राज्य पुनर्गठन
अधिनियम के तहत बनाए गए; कन्याकुमारी जिला केरल से तमिलनाडु
में शामिल किया गया तथा देश
की राजधानी दिल्ली केन्द्र शासित राज्य बना।
उत्तर 4- 1
नवम्बर 1973 को करुनाडु के भीतर के सभी क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने के लिए भारतीय
राज्य मैसूर का नाम बदलकर कर्नाटक कर दिया गया।
ब्यौरे |
विवरण |
क्षेत्रफल |
1,91,791 वर्ग किलोमीटर |
राजधानी |
बंगलौर |
मुख्य भाषाएं |
कन्नड |
इतिहास
और भूगोल
कर्नाटक का लगभग 2,000 वर्ष का लिखित इतिहास उपलब्ध है। कर्नाटक पर नंद, मौर्य
और सातवाहन राजाओं का शासन रहा। इसके अलावा चौथी शताब्दी के मध्य से इस राज्य
पर इसी क्षेत्र के राजवंशों बनवासी के कदंब तथा गंगों का अधिकार रहा। श्रवणबेलगोला
में विश्व प्रसिद्ध गोमतेश्वर की विशाल प्रस्तर प्रतिमा वंश के एक मंत्री
चामुंडराय ने ही बनवाई थी। बादामी के चालुक्य वंश (500 से 735 ई. तक) ने नर्मदा से कावेरी तक के एक विस्तृत क्षेत्र तक पुलिकेशी
द्धितीय (609 से 642 ई.) के समय बादामी,
एहोल और पट्टादकल में अनेक सुंदर कलात्मक तथा कालजयी स्मारकों का
निर्माण किया इनमें चट्टानों को तराशकर बनाए गए मंदिर भी शामिल है। एहोल देश के
ऐसे स्थानों में से है जहां मंदिर वास्तुकला पनपी। चालुक्यों की जगह लेने वाले
माल्खेड के राष्ट्रकूटों ने तो (753 से 973 ई.) कन्नौज साम्राज्य के वैभव वाले युग में वहां के शासकों से कर भी
प्राप्त किये इस काल में कन्नड़ साहित्य का विकास हुआ। भारत के श्रेष्ठ जैन
विद्वान इन राजाओं के दरबारों की शोभा बढ़ाते थे। कल्याणी के चालुक्य राजाओं (973 से 1189 ई.) और उनके परवर्ती हलेबिड के होयसल
सामंतों ने सुंदर मंदिरों का निर्माण किया और साहित्य तथा ललित कलाओं को प्रोत्साहित
किया सुविख्यात न्यायशास्त्री विज्ञानेश्वर (कृति:मिताक्षरा) कल्याण के रहने
वाले थे। महान धार्मिक नेता बासवेश्वर भी कल्याण साम्राज्य के मंत्री थे। संस्कृत,
कन्नड़, तेलगु और तमिल साहित्य को प्रोत्साहित
किया। इस काल में विदेशों में व्यापार खूब फला-फूला। बहमनी सुलतानों (राजधानी:
गुलबर्गा एवं बाद में बीदर) ओर बीजापुर के आदिलशाही शासकों ने भारतीय-सारासानी
शैली के भव्य भवनों का निर्माण किया और उर्दू व फारसी साहित्य को प्रोत्साहन दिया।
पुर्तगालियों के आगमन से राज्य में कई नई फसलों (तंबाकू, मक्का,
मिर्च, मूगफली, आलू आदि)
की खेती होने लगी। पेशवा (1818) और टीपू सुल्तान (1799)
की पराजय के पश्चात कर्नाटक ब्रिटिश शासन के अधीन हो गया। 19वीं शताब्दी में ईसाई मिशनरियों ने अंग्रेजी शिक्षा तथा मशीनों से छपाई
का प्रसार किया तथा परिवहन, संचार ओर उद्योग के क्षेत्र में
क्रंति आई शहरी नगरों में मध्य वर्ग का उदय हुआ। स्वतंत्रता आंदोलन के बाद राज्यों
के एकीकरण का आंदोलन प्रांरभ हुआ। स्वतंत्रता के बाद मैसूर राज्य बना और कन्नड़
भाषियों की अधिकता वाले विभिन्न क्षेत्रों का एकीकरण किया गया। 1973 में इस विस्तारित मैसूर राज्य का नाम बदलकर कर्नाटक कर दिया गया।
कर्नाटक राज्य 11031 और 18014 उत्तरी अक्षांश के बीच 74012 और 78014 पूर्वी देशांतर के बीच में भारतीय
प्रायद्वीप के पश्चिम-केंद्रीय भाग में स्थित है। इसकी अधितम लंबाई उत्तर से
दक्षिण में आंध्र प्रदेश के पश्चिम में तमिल नाडु के उत्तर-पूर्व और केरल के उत्तर
में है इसमें समुद्र-तट की लंबाई 400 कि.मी. है।
वन
और वन्य जीवन
वनों को इस प्रकार वर्गीकृत
किया गया है। सुरक्षित वन, संरक्षित वन, अवर्गीकृत
वन, ग्रामीण वन और निजी वन यहां 5 राष्ट्रीय
पार्क और 23 वन्यजीव अभयारण्य हैं। ईधन की लकड़ी चारा और
इमारती लकड़ी की कमी को पूरा करने के लिए बेकार जंगलों और भूमि को विकसित किया जा
रहा है। प्रोजेक्ट टाइगर और प्रोजेक्ट योजनाएं केंद्रीय सहायता से लागू की जा
रही हैं। विदेशी सहायता से भी अनेक वन परियोजनाएं शुरू की गई हैं।
कृषि
कर्नाटक की करीब 66 प्रतिशत आबादी ग्रामीण है और लगभग 56 प्रतिशत श्रम
शक्ति कृषि और इससे संबंधित गतिविधियों में लगी है। राज्य के कुल 1,90,49,836 हेक्टेयर क्षेत्र में से 1,21,08,667 हेक्टेयर
क्षेत्र में 62,79,798 किसान परिवार में खेती करते हैं। राज्य
की 60 प्रतिशत (114 लाख हेक्टेयर)
भूमि खेती योग्य है, जिसके 72 प्रतिशत
क्षेत्र की कृषि वर्षा आधारित तथा शेष 28 प्रतिशत में सिंचाई
की सुविधा उपलब्ध है। मुख्य फसलें हैं- धान, ज्वार,
रागी, बाजरा, मक्का,
गेहूं, मूगफली, सूरजमुखी
कपास, गन्ना, तंबाकू और दालें। देश के
कुल खाद्यान्न उत्पादन में राज्य का करीब 6.32 प्रतिशत का
योगदान है।
डेयरी
कर्नाटक देश के प्रमुख
दुग्ध उत्पादक राज्यों में से एक है। कर्नाटक मिल्क फेडरेशन के पास 21 प्रसंस्करण संयत्र हैं जिनकी क्षमता 26.45 लाख
लीटर प्रतिदिन है तथा 42 प्रतिशत केंद्रों की क्षमता 14.60 लाख हैं।
बागवानी
बागवानी से किसानों को
अधिक आय के अवसर मिल रहे हैं। बागवानी नीति में क्षेत्र विस्तार, नई टेक्नोलॉजी के प्रसार तथा पौध सामग्री का उत्पादन, आपूर्ति और उत्पादकता बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। कृषि उत्पादों का
निर्यात बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। अनेक किसान खेती से हटकर बागवानी की ओर
प्रवृत्त हो रहे हैं।
विद्युत
कर्नाटक देश का पहला ऐसा
राज्य है जहां पनबिजली संयंत्र स्थापित किए गए। आज कर्नाटक की बिजली उत्पादन की
स्थापित क्षमता 7,222.91 है और 3,122.9 करोड़ यूनिट बिजली का उत्पादन हुआ।
जैव
प्रौद्योगिकी
कर्नाटक राज्य और
विशेषकर बंगलुरू शहर देश का सबसे बड़ा जैव भंडार बन गया है।
परिवहन
सडकें: कर्नाटक में सड़कों की लंबाई 1971 में 83,749 कि.मी. थी जो बढ़कर 2007 में 2,15,849 कि.मी. हो गई। कर्नाटक राजमार्ग सुधार
परियोजना विश्व बैंक की सहायता से 2,375 कि.मी. सड़क को
सुधारेगी इसके तहत 900 कि.मी. का उन्नयन और 1,475 कि.मी. की मरम्मत का काम किया जाएगा। इसमें प्रान्तीय राजमार्ग और जिला
सड़कें शामिल हैं। इस पर 2,402.51 करोड़ रुपए खर्च होंगे। यह
सहायता सड़कों और पुलों के निर्माण और सुधार के लिए ग्रामीण ढांचागत विकास फंड के
तहत दी जा रही है।
बंदरगाह: कर्नाटक राज्य में 115 समुद्री
मील (300 कि.मी.) लंबे समुद्र तट पर केवल एक बड़ा बंदरगाह
है- मंगलौर में यानी न्यू मंगलौर। इसके अलावा 10 छोटे
बंदरगाह है: कारवाड, बेलेकेरी, ताद्री,
भत्कल, कुंडापुर, हंगरकट्टा,
मालपे, पदुबिद्री, होन्नावर
और पुराना मंगलौर। इन 10 बंदगाहों में से केवल कावाड़ हर
मौसम के लिए है जबकि बाकी नौ बंदरगाहों में ऐसी बात नहीं है।
उडड्यन: नागरिक उड्डयन के क्षेत्र में जबर्दस्त वृद्धि हुई।
पर्यटन
स्थल
'एक
राज्य : कई दुनिया' के रूप में जाना जाने वाला कर्नाटक
दक्षिण भारत का प्रमुख पर्यटन केंद्र बनता जा रहा है। सूचना प्रौद्योगिकी और जैव
प्रौद्योगिकी के केंद्र कर्नाटक में हाल ही में बहुत पर्यटक आए हैं। 2005-06 की तुलना में 2006-07 में पर्यटकों की संख्या में 40 प्रतिशत वृद्धि हुई है। यह राज्य अपने स्मारकों की विरासत और प्राकृतिक
पर्यटन के गंतव्य के रूप में प्रसिद्ध है।
स्वर्ण रथ, जिसका नाम दक्षिण भारत की विश्व धरोहर हंपी के प्रस्तर रथ के नाम पर रखा
गया है, प्राचीन धरोहरों, भव्य महलों,
वन्यजीवन और सुनहरे समुद्र-तटों के बीच भ्रमण करेगा।
इसकी
7 रात/8 दिन की यात्रा प्रत्येक सोमवार को बेंगलुरू
से शुरू होगी। मैसूर में श्रीरंगपटन, मैसूर के महल, नगरहोल राष्ट्रीय पार्क (कबीनी) की सैर कराते हुए 11वीं शताब्दी के होयसल स्थापत्य और विश्व धरोहर श्रवणबेलगोला, बेलूर, हलेबिड, हंपी से होते
हुए बदामी, पट्टादकल व ऐहोल की त्रिकोणीय धरोहर से होते हुए
गोवा के सुनहरे समुद्र-तटों का अवलोकन कराते हुए अंत में बेंगलुरू वापस आएगा।
कर्नाटक में धरोहर वाले महल, घने वन और पवित्र स्थलों की भरमार है। 'होमस्टे'
नामक नई अवधारणा ने राज्य में पर्यटन के नए आयाम जोड़ दिए हैं।
हंपी और पट्टकल को विश्व धरोहर स्थल घोषित कर दिया गया है।
उत्तर 5- छत्तीसगढ
राज्य भारत का 26 वां राज्य बना, जो पूर्वी मध्य प्रदेश के सोलह
जिलों से बना है।
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