विश्व आयोडीन अल्पता विकार निवारण दिवस
(world Iodine
Prevention Disorder Day)
विश्व आयोडीन अल्पता विकार निवारण दिवस (जीआईडीडी) 21 अक्टूबर 2015 से आयोडीन की जरूरत के बारे में
जागरूकता फैलाने के उद्देश्य विश्व भर में मनाया जाता हैं।
वर्तमान में विश्व की जनसंख्या का लगभग एक तिहाई भाग आयोडीन अल्पता
विकार के जोखिम का सामना कर रहा हैं. 130 देशों में 740
मिलियन से अधिक लोग इस स्वास्थ्य समस्या का सामना कर रहे हैं.
भारत में छह
करोड़ से अधिक लोग आयोडीन अल्पता विकार के कारण होने वाले स्थानिक गलगण्ड से
पीड़ित हैं वहीँ 88 लाख लोग मानसिक या तांत्रिकीय बाधाओं से पीड़ित हैं.
आयोडीन की कमी से चेहरे पर सूजन, गले में सूजन (गले के
अगले हिस्से में थाइराइड ग्रंथि में सूजन) थाइराइड की कमी (जब थाइराइड हार्मोन का
बनना सामान्य से कम हो जाए) और मस्तिष्क की कार्यप्रणाली में बाधा वज़न बढ़ना,
रक्त में कोलेस्ट्रोल का स्तर बढ़ना और ठंड बर्दाश्त न होना जैसे
आदि रोग होते हैं.
गर्भवती महिलाओं में
आयोडीन की कमी से गर्भपात, नवज़ात
शिशुओं का वज़न कम होना,शिशु का मृत पैदा होना और जन्म लेने
के बाद शिशु की मृत्यु होना आदि होते हैं. एक शिशु में आयोडीन की कमी से उसमें
बौद्धिक और शारीरिक विकास समस्यायें जैसे मस्तिष्क का धीमा चलना, शरीर का कम विकसित होना, बौनापन, देर से यौवन आना, सुनने और बोलने की समस्यायें तथा
समझ में कमी आदि होती हैं.
विश्व आयोडीन अल्पता दिवस अथवा
वैश्विक आयोडीन अल्पता विकार निवारण दिवस प्रतिवर्ष 21 अक्टूबर को मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने के पीछे
उद्देश्य आयोडीन के पर्याप्त उपयोग के बारे में जागरूकता उत्पन्न करना और आयोडीन
की कमी के परिणामों पर प्रकाश डालना है। विश्व भर में आयोडीन अल्पता विकार प्रमुख
सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या बन गई है। आज के परिदृश्य में विश्व की एक तिहाई आबादी
को आयोडीन अल्पता विकार से पीड़ित होने का ख़तरा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन
डब्ल्यूएचओ के अनुसार लगभग 54 देशों में आयोडीन अल्पता अभी
तक मौजूद है।
आयोडीन का महत्व
आयोडीन सूक्ष्म पोषक तत्व है, जो कि मानव वृद्धि और विकास के लिए आवश्यक है। आयोडीन
बढ़ते शिशु के दिमाग के विकास और थायराइड प्रक्रिया के लिए अनिवार्य एक
माइक्रोपोशक तत्व है, आयोडीन हमारे शरीर के तापमान को भी
विनियमित करता है, विकास में सहायक है और भ्रूण के पोशक
तत्वों का एक अनिवार्य घटक है, शरीर में आयोडीन को संतुलित
बनाने का कार्य थाइरोक्सिन हार्मोंस करता है जो मनुष्य की अंतस्रावी ग्रंथि
थायराइड ग्रंथि से स्रावित होता है, आयोडीन की कमी से मुख्य
रुप से घेंघा रोग होता है,
आयोडीन की कमी से होने वाले रोग निम्न
है-
1. आयोडीन की कमी से चेहरे पर सूजन,
2. गले में सूजन (गले के अगले हिस्से में थाइराइड ग्रंथि में सूजन)
3. थाइराइड की कमी (जब थाइराइड हार्मोन का बनना सामान्य से कम हो जाए)
4. मस्तिष्क की कार्यप्रणाली में बाधा वज़न बढ़ना, रक्त
में कोलेस्ट्रोल का स्तर बढ़ना और ठंड बर्दाश्त न होना जैसे आदि रोग होते हैं।
5. गर्भवती महिलाओं में आयोडीन की कमी से गर्भपात, नवज़ात
शिशुओं का वज़न कम होना,शिशु का मृत पैदा होना और जन्म लेने
के बाद शिशु की मृत्यु होना आदि होते हैं,
6. एक शिशु में आयोडीन की कमी से उसमें बौद्धिक और शारीरिक विकास समस्यायें
जैसे मस्तिष्क का धीमा चलना, शरीर का कम विकसित होना,
बौनापन, देर से यौवन आना, सुनने और बोलने की समस्यायें तथा समझ में कमी आदि होती हैं।
• थायरॉयड ग्रंथि का बढ़ना।
• मानसिक बीमारी: मंदबुद्धि, मानसिक मंदता, बच्चों में संज्ञानात्मक विकास की गड़बड़ी और मस्तिष्क की क्षति।
• तंत्रिका-पेशी और स्तैमित्य (मांसपेशियों की जकड़न)।
• एन्डेमिक क्रेटिनिज़म (शारीरिक और मानसिक विकास का अवरुद्ध होना)।
• मृत जन्म और गर्भवती महिलाओं में स्वतः गर्भपात।
• जन्मजात असामान्यता जैसे कि बहरा-गूंगापन (बात करने में असमर्थता) और
बौनापन।
• देखने, सुनने और बोलने में दोष।
आयोडीन युक्त कुछ खाद्य प्रदार्थ
निम्न है.-
• दूध
• आयोडीन का सबसे सामान्य स्रोत नमक है
• अंडा
• समुद्री शैवाल
• शेल्फिश
• समुद्री मछली
• समुद्री भोजन
• मांस
• दालें-अनाज
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