आरती साहा 'गुप्ता'
(Arati Saha Gupta)
आरती साहा (24 सितंबर 1940-23 अगस्त 1994) भारत तथा एशिया की पहली महिला इंग्लिश चैनल पार करने वाली
प्रसिद्ध तैराक थीं।
जीवन वृत्त
कलकत्ता, पश्चिम बंगाल की मूल निवासी आरती ने चार साल की उम्र से ही तैराकी शुरु
कर दी थी। उनका पूरा नाम आरती साहा 'गुप्ता' है।
उनका सम्बंध एक साधारण बंगाली हिन्दू परिवार से था। उनके पिता का नाम
पंचुगोपाल साहा था। आरती अपने पिता की तीन संतानों में दूसरी और दो बहनों में बड़ी
थीं। उनके पिता सशस्त्र बल में एक साधारण कर्मचारी थे। जब आरती ढाई साल की थीं, तभी उनकी माता का देहान्त हो गया। उनके बड़े भाई
छोटी बहन भारती को मामा के यहाँ रखा गया, जबकि आरती अपनी दादी के पास रहीं।
सचिन नाग ने उनकी इस प्रतिभा को पहचाना और उसे तराशने का कार्य शुरु किया। 1949 में आरती ने अखिल भारतीय रिकार्ड सहित
राज्यस्तरीय तैराकी प्रतियोगिताओं को जीता। उन्होंने 1952 में हेलसिंकी ओलंपिक में भी भाग लिया।
भारतीय पुरुष तैराक मिहिर सेन से प्रेरित होकर उन्होंने इंग्लिश चैनल पार करने
की कोशिश की और 29 सितम्बर 1959 को वे एशिया से ऐसा करने वाली प्रथम महिला तैराक बन गईं।
उन्होंने 42 मील की यह दूरी 16 घंटे 20 मिनट में तैय की।
सम्मान/पुरस्कार
उन्हें 1960 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया।
विशेष स्मृति
1998 में भारतीय डाक विभाग द्वारा विभिन्न क्षेत्रों
में महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल करने वाली भारतीय महिलाओं की स्मृति में जारी डाक
टिकटों के समूह में आरती शाहा पर भी एक टिकट जारी किया गया था।
मृत्यु
पीलिया के कारण 23 अगस्त 1994 को उनकी मृत्यु हो गई।
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