बुधवार, 12 अगस्त 2020

डॉ. विक्रम साराभाई (Dr. Vikram Sarabhai)


विक्रम साराभाई

(Dr. Vikram Sarabhai)

विक्रम साराभाई का जीवनः-

विक्रम अंबालाल साराभाई का जन्म अहमदाबाद में 12 अगस्त 1919 को हुआ था. उनके पिता अंबालाल साराभाई एक संपन्न उद्योगपति थे तथा गुजरात में कई मिलों के स्वामी थे. 'केम्ब्रिज विश्वविद्यालय' के सेंट जॉन कॉलेज से डॉक्टरेट की डिग्री हासिल की.

1942 में साराभाई का विवाह मृणालिनी साराभाई से हुआ था. उनकी दो संतान बेटा कार्तिकेय और बेटी मालिका थी।

विक्रम साराभाई हमेशा युवाओं को प्रेरित करते रहते थे. साराभाई ने 1947 में अहमदाबाद में भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (PRL) की स्थापना की थी. विज्ञान में उनके कार्यों को देखते हुए  साल 1962 में शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. उन्हें 1966 में पद्म भूषण और 1972 में पद्म विभूषण (मरणोपरांत) से सम्मानित किया गया था.

विक्रम साराभाई द्वारा की गई कुछ खोज एवं उनके प्रयोग-

·         साराभाई के मार्गदर्शन में पहला कॉस्मिक किरणों का निरीक्षण करने वाले नए दूरबीनो का निर्माण किया गया. वे दूरबीन कुछ इस प्रकार के थे, जिनसे गुलमर्ग जैसी विभिन्न स्थानों में से निकलने वाली कॉस्मिक विकर्ण की तीव्रता और उसके निरंतर बदलते हुए प्रभावों के बारे में पूरी और गहन जांच की जा सकती थी. जैसे-जैसे वे कॉस्मिक किरणों पर खोज करते रहे वैसे वैसे उनको और भी निरीक्षण करने के लिए कई तरह के औजारों की आवश्यकता होने लगी. विक्रम साराभाई ने अपने द्वारा बनाए गए छात्रों के समूह के साथ मिलकर कॉस्मिक विकिरण और गुलमर्ग जैसे विभिन्न स्थानों में आउटर दूरबीन का उपयोग करके कॉस्मिक किरणों के निरंतर बदलते रुझान का अवलोकन किया, और किरण की तीव्रता के लिए बड़ी संख्या में कॉस्मिक रे दूरबीन का निर्माण करना और उनकी स्थापना करना शुरु कर दिया. उन्होंने यह पूरी प्रक्रिया को अहमदाबाद से अलग त्रिवेंद्रम में अंजाम दिया.

·         भारत में कोई भी रॉकेट लॉन्चिंग स्टेशन नहीं था, डॉक्टर होमी भव एक ऐसी शख्सियत जिसे विज्ञान में होने वाले प्रत्येक परमाणु विज्ञान कार्यक्रम का जनक माना जाता है, उनके सहयोग से अपना पूर्ण समर्थन देते हुए डॉक्टर साराभाई ने भारत में पहला रॉकेट लॉन्च इंप्रेशन स्थापित किया. यह संस्थान अरब सागर के तट के पास थुम्बा, तिरुवंतपुरम में स्थापित किया गया था.

·         उन्होंने रुसी स्पूतनिक लांच के बाद भारत जैसे विकासशील देश में अंतरिक्ष की महत्वता को समझाया और सरकार को इस बात पर राजी किया कि भारत देश में भी अंतरिक्ष कार्यक्रम के महत्व पर जोर दिया जाना चाहिए. उसके बाद भारत में भारतीय अंतरिक्ष अनुसन्धान संगठन की शुरुआत की गई. और इसकी घोषणा साल 1969 के स्वतंत्रता दिवस के दिन की गई. इस संगठन को शुरू करने में सबसे अधिक महत्वपूर्ण योगदान डॉक्टर साराभाई का था, जिन्होंने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधाननामक संगठन यानी इसरो (ISRO) की स्थापना स्वयं की थी.

·         नासा के साथ भी साराभाई के अच्छे तालमेल थे, जिनसे बातचीत करके और उनके साथ मिलकर उन्होंने सन 1975 से लेकर 1976 के दौरान सेटेलाइट सफल टेलिविजन एक्सपेरिमेंट लांच किया. बाद में उनके द्वारा एक अद्भुत भारतीय उपग्रह निर्माण की परियोजना भी शुरू कर दी गई. जिसके परिणाम स्वरुप पहला भारतीय उपग्रह आर्यभट्ट सन 1975 में एक रुसी कॉस्मोडरोम से कक्षा में रखा गया.

कैसे हुई इसरो की स्थापना:-

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन' (इसरो) की स्थापना विक्रम साराभाई ने की थी. बता देंरूसी स्पुतनिक के लॉन्च के बाद उन्होंने इसरो की स्थापना के बारे में सोचा था.

ये इतना आसान नहीं था, इसके लिए पहले विक्रम साराभाई को सरकार को मनाना पड़ा साथ ही समझाना पड़ा की भारत के लिए इसरो की स्थापना कितनी जरूरी है. डॉ. साराभाई ने अंतरिक्ष कार्यक्रम के महत्व पर जोर देते हुए सरकार को समझाया था. जिसके बाद 15 अगस्त 1969 में इसरो की स्थापना हुई.

आपको बता दें, इसरो और पीआरएल के अलावा, उन्होंने कई संस्थानों की स्थापना की. 'परमाणु ऊर्जा आयोग' के अध्यक्ष पद पर भी विक्रम साराभाई रह चुके थे. उन्होंने अहमदाबाद में स्थित अन्य उद्योगपतियों के साथ मिल कर 'इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट', अहमदाबाद की स्थापना में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

उस समय उनकी उम्र केवल 28 वर्ष थी. साराभाई संस्थानों के निर्माता और संवर्धक थे और पीआरएल इस दिशा में पहला क़दम था. विक्रम साराभाई ने 1966-1971 तक पीआरएल की सेवा की.

ये हैं विक्रम साराभाई के द्वारा स्थापित किए हुए संस्थान:-

- भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (पीआरएल), अहमदाबाद

- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (आईआईएम), अहमदाबाद

- कम्यूनिटी साइंस सेंटर, अहमदाबाद

- दर्पण अकाडेमी फ़ॉर परफार्मिंग आर्ट्स, अहमदाबाद

- विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र, तिरुवनंतपुरम

- स्पेस एप्लीकेशन सेंटर, अहमदाबाद

- फास्ट ब्रीडर टेस्ट रिएक्टर (एफबीटीआर), कल्पकम

- वेरिएबल एनर्जी साइक्लोट्रॉन प्रॉजेक्ट, कोलकाता

इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड(ईसीआईएल), हैदराबाद

यूरेनियम कारपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (यूसीआईएल), जादूगुडा, बिहार

सम्मान:-

शांतिस्वरूप भटनागर पुरस्कार (1962)

पद्मभूषण (1966)

पद्मविभूषण, मरणोपरांत (1972)

इन पदों पर थे कार्यरत

- भौतिक विज्ञान अनुभाग, भारतीय विज्ञान कांग्रेस के अध्यक्ष ([1962)

- आई.ए.ई.ए.  वेरिना के महा सम्मलेनाध्यक्ष (1970)

- उपाध्यक्ष, 'परमाणु ऊर्जा का शांतिपूर्ण उपयोग' पर चौथा संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (1971)

निधन:-

विज्ञान जगत में देश का परचम लहराने वाले इस महान वैज्ञानिक डॉ. विक्रम साराभाई की निधन 30 दिसंबर, 1971 को कोवलम, तिरुवनंतपुरम, केरल में हुआ था.

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