गुरुवार, 23 जुलाई 2020

आज का दिन 23 जुलाई



23 जुलाई 1906 को चन्द्रशेखर आज़ाद का जन्म मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले के भाबरा में हुआ था जबकि उनकी मृत्यु 27 फरवरी 1931 को इलाहबाद के अल्फ्रेड पार्क में हुई थी, जिसे अब चन्द्रशेखर आजाद पार्क के नाम से जाना जाता है. उनके बचपन का नाम चन्द्रशेखर सीताराम तिवारी था. उनको अपने बेखौफ अंदाज तथा अंग्रजों के हाथों कभी भी जीवित गिरफ्तार न होने की अपनी प्रतिज्ञा पर अडिग रहने के लिए पूरे विश्व में जाना जाता है. आइये इस लेख के माध्यम से चन्द्रशेखर आज़ाद के बारे में 9 अनजाने एवं रोचक तथ्यों पर अध्ययन करते हैं.

चन्द्रशेखर आज़ाद से सम्बंधित 9 अनजाने एवं रोचक तथ्य

1.चन्द्रशेखर आज़ाद केवल 14 वर्ष के थे जब उन्होंने 1921 में गांधी जी के असहयोग आंदोलन में भाग लिया था| उनकी बुद्धिमत्ता का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि जब इस आंदोलन में भाग लेने पर अंग्रेजों ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया तो जज ने उनसे उनके तथा उनके पिता के नाम के बारे में सवाल किया तो जवाब में चन्द्रशेखर ने कहा, “मेरा नाम आज़ाद है, मेरा पिता का नाम स्वतंत्रता और पता कारावास है”| इसी घटना के बाद से उन्हें चंद्रशेखर आजाद के नाम से जाना जाने लगा |

2.वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख सेनानी थे जिन्होंने देश के लाखों युवाओं को प्रेरित किया| वे पण्डित राम प्रसाद बिस्मिल व सरदार भगत सिंह सरीखे क्रान्तिकारियों के अनन्यतम साथियों में से एक थे| वर्ष 1922 में जब महात्मा गांधी ने असहयोग आन्दोलन अचानक बंद करने की घोषणा की उस समय उनकी विचारधारा में बदलाव आया| वे क्रान्तिकारी गतिविधियों से जुड़ कर हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसियेशन के सक्रिय सदस्य बन गये|

3.इस संस्था के साथ जुड़ कर उन्होंने राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में 9 अगस्त 1925 को काकोरी काण्ड को अंजाम दिया तथा गिरफ़्तारी से बचने के लिए फरार हो गये थे |

4.चन्द्रशेखर आज़ाद ने झांसी के पास एक मंदिर में 8 फीट गहरी और 4 फीट चौड़ी गुफा बनाई थी जहां वे सन्यासी के वेश में रहा करते थे| ऐसा माना जाता है कि जब अंग्रेजों को उनके इस गुप्त ठिकाने के बारे में पता चला तो वे स्त्री का वेश बनाकर अंग्रजों को चकमा देने में कामयाब रहे|

5.जलियांवाला गोली काण्ड के पश्चात् चंद्रशेखर आजाद ने मध्य प्रदेश के झाबुआ क्षेत्र के आदिवासियों से तीरंदाजी का प्रशिक्षण लिया था| वे सदैव अपने साथ एक माउजर (ऑटोमेटिक पिस्टल) रखते थे| ऐसा भी माना जाता है कि आज़ाद रूस जाकर स्टालिन से मदद लेना चाहते थे जिसके लिए उन्होंने जवाहर लाल नेहरु से 1200 की सहायता राशि की मांग की थी|

6.आज़ाद ने अपनी सभी फोटो को नष्ट करना चाहा क्योंकि वे नहीं चाहते थे कि उनकी फोटो अंग्रेजों के हाथ ना लगे| उन्होंने अपने एक दोस्त को झांसी भेजा ताकि अंतिम फोटो की प्लेट नष्ट हो जाए लेकिन वह नहीं टूटी सकी|

7.उनकी अंतिम मुठभेड़ के बारे में सर्वविदित है कि इलाहाबाद की एक पार्क में पुलिस ने उन्हें घेर लिया और उन पर गोलियां दागनी शुरू कर दीं| दोनों ओर से लम्बे समय तक मुठभेड़ चलती रही| चंद्रशेखर आज़ाद एक पेड़ की ओट से पुलिस से बचने के लिए गोलियां चलाते रहे|

8.अपने पास गोलियां समाप्त होते देख उन्होंने अंतिम निर्णय लिया| उन्होंने अंग्रेजों के हाथ कभी भी जीवित गिरफ्तार नहीं होने की अपनी प्रतिज्ञा पर कायम रहते हुए अंतिम कारतूस से स्वयं को गोली मार ली|

9.इलाहाबाद के पार्क में उनका निधन हुआ, उस पार्क को स्वतंत्रता के बाद चंद्रशेखर आजाद पार्क रखा गया| मध्य प्रदेश के जिस गांव में वह रहे थे उसका नाम धिमारपुरा से बदलकर आजादपुरा रखा गया|

राष्ट्रीय प्रसारण दिवस

भारत में प्रत्येक वर्ष 23 जुलाई को राष्ट्रीय प्रसारण दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन वर्ष 1927 में इंडियन प्रसारण कंपनी ने बंबई स्टेशन से रेडियो प्रसारण शुरू किया था।

राष्ट्रीय प्रसारण दिवस का इतिहास:

भारत में रेडियो प्रसारण की शुरुआत 1920 के दशक में हुई थी। भारत में रेडियो प्रसारण को 87 साल से भी अधिक हो चुके हैं। पहला कार्यक्रम 1923 में मुंबई के रेडियो क्‍लब द्वारा प्रसारित किया गया था। इसके बाद 1927 में मुंबई और कोलकाता में निजी स्‍वामित्‍व वाले दो ट्रांसमीटरों से प्रसारण सेवा की शुरुआत हुई। सन 1930 में सरकार ने इन ट्रांसमीटरों को अपने नियंत्रण में ले लिया और भारतीय प्रसारण सेवाके नाम से उन्‍हें परिचालित करना शुरू कर दिया। 1936 में इसका नाम बदलकर ऑल इंडिया रेडियोकर दिया और 1957 में आकाशवाणी के नाम से पुकारा जाने लगा।

ऑल इण्डिया रेडियो:

भारत के राष्ट्रीय प्रसारक के रूप में, ऑल इंडिया रेडियो (एआईआर) जनता को सूचित, शिक्षित और मनोरंजन करने के लिए सेवा कर रहा है। यह शुरुआत से ही अपने उद्देश्य बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय का अनुसरण कर रहा है। भाषाओं की संख्या के मामले में दुनिया के सबसे बड़े प्रसारण संगठनों में से यह एक है।

एआईआर के देश भर में 413 स्टेशन हैं और इसकी पहुंच देश के 99.19% हिस्से में है। आकाशवाणी का 23 भाषाओं और 146 बोलियों में प्रसारण होता है।

 

वर्ष

घटना/वारदात/वृत्तांत

1555

हुमायूं ने सरहिंद में सिकंदर सूरी पर विजय प्राप्त करने के बाद दिल्ली में प्रवेश किया।

1829

अमेरिका के विलियम ऑस्टिन बर्ट ने टाइपोग्राफ का पेटेंट कराया था, जिसने टाइपराइटर की नींव रखी।

1903

फोर्ड मोटर कंपनी ने अपनी पहली कार बेची।

1921

चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) की स्थापना राष्ट्रीय कांग्रेस में हुई।

1926

फॉक्स फिल्म ने फिल्म पर ध्वनि रिकॉर्ड करने के लिए मूवीटोन साउंड सिस्टम के पेटेंट खरीदे।

1927

बंबई में नियमित रुप से रेडियो प्रसारण शुरू हुआ।

1962

टेलस्टार पहला सार्वजनिक रूप से प्रसारित, लाइव ट्रांस-अटलांटिक टेलीविजन कार्यक्रम, जिसमें वाल्टर क्रॉनाइट की विशेषता थी।

1972

संयुक्त राज्य अमेरिका ने लैंडसैट १, की शुरूआत की जो की पहला पृथ्वी-संसाधन उपग्रह है।

1980

पाम तुआन अंतरिक्ष में पहला वियतनामी नागरिक और पहला एशियाई बन गया, जब वह एक इनकॉमस अनुसंधान अंतरिक्ष यात्री के रूप में Soyuz सोयूज 37 मिशन पर सवार हुआ।

1985

कमोडोर ने न्यूयॉर्क के लिंकन सेंटर में अमिगा निजी कंप्यूटर की शुरुआत की।

1992

अबकाज़िया ने जॉर्जिया से स्वतंत्रता की घोषणा की।

1995

धूमकेतु हेल-बोप की खोज की गई; यह लगभग एक साल बाद पृथ्वी पर नग्न आंखों के लिए दिखाई देता है।

1999

स्पेस शटल कोलंबिया ने एसटीएस-93 पर लॉन्च किया, जिसमें एलीन कोलिन्स पहली महिला अंतरिक्ष शटल कमांडर बनीं। शटल ने चंद्रा एक्स-रे वेधशाला को भी चलाया और तैनात किया।

2012

स्वतंत्रता सेनानी और समाजसेविका लक्ष्मी सहगल निधन हुआ।

2015

नासा ने केप्लर द्वारा केप्लर -452 बी की खोज की घोषणा की।


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