बोली
भाषा का क्षेत्रीय रूप
बोली कहलाता है। अर्थात् देश के विभिन्न भागों में बोली जाने वाली भाषा बोली
कहलाती है और किसी भी क्षेत्रीय बोली का लिखित रूप में स्थिर साहित्य वहाँ की भाषा
कहलाता है।
लिपि
किसी भी भाषा के लिखने की
विधि को ‘लिपि’ कहते हैं। हिन्दी और संस्कृत भाषा की लिपि का
नाम देवनागरी है। अंग्रेजी भाषा की लिपि ‘रोमन’, उर्दू भाषा की लिपि फारसी,
और पंजाबी भाषा की लिपि गुरुमुखी है।
साहित्य
ज्ञान-राशि का संचित कोश
ही साहित्य है। साहित्य ही किसी भी देश, जाति और वर्ग को जीवंत रखने का- उसके अतीत रूपों को दर्शाने का एकमात्र
साक्ष्य होता है। यह मानव की अनुभूति के विभिन्न पक्षों को स्पष्ट करता है और
पाठकों एवं श्रोताओं के ह्रदय में एक अलौकिक अनिर्वचनीय आनंद की अनुभूति उत्पन्न
करता है।
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वर्ण–विचार
परिभाषा-हिन्दी भाषा में
प्रयुक्त सबसे छोटी ध्वनि वर्ण कहलाती है। जैसे-अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, क्, ख् आदि।
वर्णमाला-
वर्णों के समुदाय को ही
वर्णमाला कहते हैं। हिन्दी वर्णमाला में 44 वर्ण हैं। उच्चारण और प्रयोग के आधार पर हिन्दी वर्णमाला के दो भेद किए गए
हैं-
1. स्वर
2. व्यंजन
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